देखा है मैने सब, उत्त्पती से विनाश तक मै ही आदी, अन्त भी मै हूँ, रचनाकार मै भोग और भोगी भी मै हूँ, सरल स्वभाव मै भाव का अर्थ भी मै हूँ, […]
मित्र! ओ मित्र
इच्छाओं से उत्पन्न हो हंसी की रचना करते हो तुम, मेरे दृष्टिकोण को जान कर सार्थक करते हो तुम, मेरी इचछाओं के अनूकूल रचनात्मक हो दिखते हो तुम| ज्ञान विज्ञान से परिपूर्ण […]